काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर परियोजना

काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर परियोजना

काशीविश्वनाथ

वैसे तो काशी विश्वनाथ का इतिहास पूरी दुनिया में प्रतिष्ठा और सम्मान के  साथ लिया जाता है क्योंकि पूरी दुनिया में भारत सनातन धर्म का डंका बजता है भारत देश के उत्तर प्रदेश में प्राचीन शहर वाराणसी यानी मोक्ष की नगरी काशी जिस की मान्यता है कि यह शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है वाराणसी शहर पवित्र मां गंगा की गोद में बसा हुआ शहर है इस शहर की अपनी एक अलग पहचान है जो भारतीय संस्कृत के धर्म ग्रंथों व मान्यताओं पाया जाता है भारतीय धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महादेव शिव और माता पार्वती का आदिस्थान काशी माना जाता है ! बाबा भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग के रूप में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर भी है !

काशी विश्वनाथ के बारे में महात्मा गांधी के विचार

महात्मा गांधी के काशी आने के बारे में जो जानकारियां उपलब्ध हैं उनके अनुसार उन्होंने यहां की  पहली यात्रा 1903 में की थी. अपने पहले ही प्रवास में वह काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishawanath Temple) में दिव्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु गए. जब वे मंदिर मार्ग पर जा रहे थे तो वहां की संकरी गलियों में व्याप्त गंदगी और जरा सी जगह में लोगों की धक्का मुक्की देखकर काफी व्यथित हुए. वह अपने सहयोगियों से इससे बेहतर होने की संभावनाओं के बारे में पूछने लगे

 1916 में महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने यहां एक बार फिर से आए. इस बार भी उन्होंने विश्वनाथ धाम की गलियों में अस्त व्यस्त स्थिति और गंदगी को देखा. यहां की ऐसी तस्वीर को उन्होंने बीएचयू (BHU) के स्थापना दिवस समारोह पर अपने भाषण में सामने रख दिया. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थिति का वर्णन करते हुए हमारे देश की तत्कालीन दशा और भारतीय समाज की स्थिति पर तंज भी कस दिया. उन्होंने कहा कि इस विश्व विख्यात मंदिर में दुनिया भर के लोग आते हैंं,वे मंदिर की स्थिति देखकर हमारे देश और उसके निवासियाें के बारे में क्या सोच लेकर जाएंगे. ऐसी गंदगी और अस्वच्छता को देखकर वह हमारी और हमारे देश की हर ओर निंदा ही करेगा. बापू ने कहा था कि आगे भी मंदिर का यही हाल रहा तो जाने देश का कैसा हाल होगा. अब आज हम देख रहे हैं कि मंदिर का हाल आखिरकार बदल गया है

काशी विश्वनाथ का इतिहास

काशी विश्वनाथ की इतिहास के बारे में धर्म ग्रंथों इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पुराना माना जाता है लेकिन वर्तमान मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर द्वारा 1780 में कराया गया था ! जिसको बाद में आक्रमणकारियों द्वारा मंदिर को तोड़ा भी गया क्षति पहुंचाई गई और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया क्षतिग्रस्त मंदिर को बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1000 किलो सोने से मंदिर की मूर्तियों और अन्य जगहों का सौंदर्यीकरण कराया गया ! इस मंदिर के संबंध में इतिहासकारों द्वारा कहा गया है कि इस मंदिर के जीर्णोद्धार में महाराजा हरिश्चंद्र ने भी सहयोग किया था और इस मंदिर पर मुस्लिम आक्रांताओं की खासा नजर रहती थी और कई मुस्लिम आक्रांताओं ने इस मंदिर पर हमला किया और यहां की सोने की मूर्तियां अन्य चीजें उठाकर ले गई थे ! 11 वीं सदी से लेकर 15 वीं सदी तक मंदिर के निर्माण आक्रांता ओं द्वारा तोड़ी जाने की घटनाएं चलती रही ! हालांकि बनारस के तत्कालीन दंडाधिकारी वाटसन के माध्यम से ज्ञान वापी परिसर हिंदुओं को  हमेशा लिए सौंप  दिया गया !

मंदिर को लेकर लोगों में चर्चित कहानी

मंदिर को लेकर एक कहानी बहुत चर्चित है यह बात उस समय की है जब औरंगजेब काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था और वहां के पुजारियों को जब इस बात का पता चला कि मंदिर पर आक्रमण करने के साथ-साथ मंदिर में स्थापित बाबा विश्वनाथ की वर्षों पुरानी शिवलिंग को भी तहस-नहस करने की फिराक में है तो वहां के पुजारियों ने मंदिर के बगल में स्थित हुए में शिवलिंग को लेकर कूद गए हालांकि अगर वर्तमान परिस्थितियों की बात की जाए तो वहां पर इस हुए का भी जिक्र है जो मंदिर और मस्जिद के बीच में है !

बाबा विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना का लोकार्पण

बाबा विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की चर्चा इस समय हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव लड़े थे तो उन्होंने इस कॉरिडोर बनाने का संकल्प लिया था जिसका नाम *काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर* परियोजना रखा और इस परियोजना का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021  बड़े भव्य आयोजन के साथ किया वहां पर  उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के कई मंत्री धर्माचार्य उपस्थित रहे, प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित किया और गंगा स्नान कर विभिन्न मंदिरों देवालयों का दर्शन कर पूजा-अर्चना भी की , इस परियोजना की नींव 2019 में रखी गई थी , लगभग 286 वर्ष बाद नए अवतार के रूप में लोग देख सकेंगे !

इस परियोजना के  लोकार्पण के बाद एक प्रमुख बात की चर्चा रही जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना से जुड़े कर्मचारियों मजदूरों के साथ भोजन किया !

काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर परियोजना  क्या है?

बाबा विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना पहले बाबा विश्वनाथ मंदिर का परिसर लगभग 4000 से 5000 स्क्वायर फिट की क्षेत्र में था अब काशी विश्वनाथ विस्तारीकरण सुंदरीकरण यानी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के तहत लगभग 5000 स्क्वायर फीट से ज्यादा कर दिया गया है, इस कोरिडोर की लंबाई लगभग 400 फीट है, लगभग 600 करोड़ की लागत से बना है ! इस परियोजना में 23 इमारतें और 27 मंदिर शामिल किए गए हैं ! जिनके जीर्णोद्धार एवं सुंदरीकरण के लिए कार्य किए जा रहे हैं !

इस कोरिडोर में कई जन सुविधाएं एवं यात्रियों के लिए कई तरह की चीजें उपलब्ध होंगी जैसे पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुधु भवन, भगशाला संग्रहालय गैलरी फूड कोर्ट शॉपिंग कंपलेक्स मल्टीपरपज हॉल अनेक तरह की कई सुविधाएं इस कोरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है इसमें चार गेट हैं और 22 अभिलेख हैं !

कोरिडोर का महत्त्व

काशी वासियों के सपने साकार होने के साथ-साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भी सपने साकार क्यों  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी स्वच्छ एवं सुंदर काशी की परिकल्पना की थी जब काशी यात्रा पर थे तब काशी की तंग गलियां और गंदगी देखी थी, महात्मा गांधी ने तो इस पर चिंता जाहिर की थी और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कॉरिडोर परियोजना से ना केवल गांधी के सपनों को साकार किया है बल्कि काशी वासियों देशवासियों के लिए पर्यटन के माध्यम से आर्थिक पक्ष को भी मजबूती मिलेगी देश में पर्यटन बढ़ेगा तो वहां के लोगों की आर्थिक स्थिति ने भी सुधार होगा काशी में रहने वाले लोगों को और बाहर से आने वाले यात्रियों को भी बहुत सारी सुविधाएं मिलेंगी लोगों को मंदिरों में दर्शन करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए और एक घाट से दूसरे घाट पर जाने के लिए आसानी होगी, इस कॉरिडोर के बनने से काशी पूरी तरीके से स्वच्छ रहेगा

लेखक के बारे में

link2Mob

Нужно оперативно добраться до вокзала или за город? Сегодня организовать удобное и проверенное такси в пару кликов — достаточно открыть приложение. Опытные водители, опрятные транспортные средства, честный стоимость и отсутствие доплат делают путешествие спокойной. Многие компании предлагают возможность выбрать типа авто, оплату картой и 24/7 помощь. Особенно полезно это в межгородних поездках, где важны надёжность и соблюдение сроков. А какие операторы вы считаете лучшими? Расскажите личным опытом!

http://www.dotank.kr/bbs/board.php?bo_table=free&wr_id=13599

डिस्क्लेमर:

ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।

Comments

जनमत

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति महामारी जैसी परिस्थितियों से निबटने के लिए उचित प्रावधानों से युक्त है?

Choices